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Ankit Arora



अंकित अरोरा की कविताएँ


वक़्त बेवक्त

वक़्त बेवक्त यों मुझे याद करते हैं,
मुझसे मिलने के वो फिर एक बार फरियाद करते हैं।
मिल लूं जो उनसे तो गुजरे जमाने की फिर बात होगी,
याद आएगा वो समाँ ,
फिर मोहब्बत की बात होगी।
जो ' ना ' मिला उनसे तो क्या ही होगा,
कुछ और कसक, मेरी उन्हें कुछ याद और होगी।
' जाओ ', नहीं मिलता आज मैं उनसे
अपने एहसास कुछ रोज़ और दबा लूंगा,
कुछ और दिन मैं उनके इज़हार का जवाब ना दूंगा।

इंतज़ार की हद क्या है उनकी, बस कुछ रोज पहले उससे ,
उनके इज़हार का जवाब मैं अपने इक़रार से दूंगा।

इंतज़ार

मोहब्बत में वो मज़ा कहाँ जो *इंतज़ार* में आता है।

*इंतज़ार* में जो मज़ा आता है
वो कहाँ प्यार में आता है ।

आँखें गड़ाए रखते हैं उन बेजान आइनों में घंटों, चंद लम्हे ही गुज़रे हों जैसे।
हर इक को *कहाँ करना* इंतेज़ार आता है?

इंतेज़ार के बाद या *सिसकियां* हैं या इक *कशिश* है,

ये इंतेज़ार कहाँ सबको यूँ *शुमार* आता है।

सपने

काश कोई सपने बांटने की भी मशीन आए,
जो मेरी किस्मत में हों, बस वही सपने मुझे दे जाए!

मेरी *मैं*

मुझपे हर रोज़ इल्ज़ाम लगाने की
क्या सज़ा दूँ उनको?

मुझपे हर रोज़ इल्ज़ाम लगाने की
क्या सज़ा दूँ उनको?

मेरी *मैं* को पता है वो गलत नहीं,
पर *मैं* ये मानने की भी तल्बगार नहीं।

पाकीज़ा

अनार के दाने कुछ, पाकीज़ा में सजा रखे हैं
मुलाक़ात हो तुम्हारी तो उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचा देना।

कवि जो की एक *डरा सेहमा पति* है, 
अपनी पत्नी को इशारों में कहना चाह रहा है की, 
अनार से निकालते हुए कुछ दाने *सिंक* में गिर गए हैं, 
बर्तन धोते हुए मिलें तो डस्टबिन में डाल देना। ?

माँ

कितने जतन कर कर के,
उसने हमको पाला है,
कठिन समस्यायों में करके जतन, हमको बाहर निकाला है।

कहे कटु वचन, रही प्रेम मगन,
वो पावन् प्रेम की माला है।

रहें याद हमें, वो त्याग उनके,
जिनको प्यार से हम कहते *माँ*।

आओ आज करें उनको अर्पण,
अपना प्रेम, श्रद्धा और नमन,
करें थोड़े जतन, लगा तन मन धन,
करो थोड़ा वक़्त और स्नेह अर्पण।





जन्मदिन क्या है ?

*जन्मदिन* उम्र का एक वो पड़ाव है जो कहता है, रुक, थम, ज़रा अब तक की उम्र का तकाज़ा कर।
क्या खोया, क्या पाया?
जो आगे पाना है वो कैसे पाना है, वो सोच ?
*पर उससे पहले* जो अब तक साथ हैं उनका *शुक्रिया कर*।

उनके साथ थोड़ा *वक़्त बिता*, थोड़ा *दिलासा दे*।
अब तक तुमने मेरा साथ दिया, ये वादा है मैं भी तुम्हारा साथ दूंगा।

मैं मशरूफ भी हूं, तब भी *तुम्हें हक़ है* की तुम मुझे किस भी पल अपने किसी सोच, दुख, तकलीफ पे चिंतन करने के लिए रोक सकते हो।

तुमने जो साथ दिया वो कीमती है, तुम्हारा बेहद शुक्रिया।





व्याह दी सालगिरह

पंजाबी गीत : अंकित अरोरा वल्लों।
कट गए यारा साल, के हो गई बल्ले बल्ले
हसदे रोंदे नाल, के हो गई बल्ले बल्ले।

तू मैनु झेलया, मैन तैनू रोल्या
पर एक दूजे नाल बँधी गाँठ नू किसी ने ना खोल्या।

बन्नी रवे ए गँड़ होर सठ साल नू,
दबावां मैन पैर तेरे, तू लावें तेल मेरे बाल नू।

मैं रवाँ वढ़िया जवाई, तू रवें वधिया बनके नू।

ते रल मिल पालिये असी, सोहने पुत नू।

खा लओ कसम आज के गलतियां हर पल कढ़नीआं नहीं।

होवें छोटी मोटी गल ते ऐवेन ही झगड़ना नहीं।

होवेगी अपनी वी कोठी अज तों कुज साल नू,
तद तक ऐस बसेरे विच बहे कोई आंसू नहीं।

dil mein kuch

बहुत दिनों से दिल में कुछ दबा सा था,
दिल को मेरे दिल का कुछ पता ना था;
वो तो बस बैठे थे मेरे नजदीक आकर इतना, 
वर्ना उनसे ये नजदीकियां हैं इतनी मेरी,
मेरे दिल को तो ये भी पता ना था |

Bewafa

वो बेखौफ़ वक्त रहते रिश्ते छुड़ा गए,
हम कौन हैं वो हमको इतना जता गए |
हम बैठे रहे दो-राह पर पलकें बिछा बिछा,
चुप-चाप वो उस राह से आखें चुरा गए |

Muhobbat

मेरी मोहब्बत मेरी इबादत से कम ना थी,
मेरी मोहब्बत मेरी इबादत से कम ना थी|
और झूठ बोलने की उनसे कोई कसम  ना थी|

वो तो बस यून ही कर  दिया बे-रिश्ता उन्होंने हमको शायद, 
हमसे दूर जाने की वैसे कोई वजह ना थी|

kuch dekh liya

कुछ देख लिया ऐसा उम्र के इस पड़ाव में,
ले गई यादें मुझे उन भूली बिसरी विद्यालय की राहों में;

कुछ यादें अनकही सी दिलों में सदा बसती हैं,
कुछ रिश्तों की ख्वाहिशें सदा इस दिल में खटकती हैं|

यहाँ मेरा एहसास कुछ धूमिल सा था पड़ गया,
इसलिए मेरे दोस्तों अंकित यहाँ कुछ यादें अपनी लिख गया|


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